ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | ||||||
2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 |
9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 |
16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 |
23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 |
30 |
مرثیه ای ماندگار
خورشید با درد طلوع کرد
مادری داغدار
خاک را کنار می زند
می شکافد .....
هزارانِ لاله ی سرخ
به سانِ سیاوش ،
شکفتند
ترانه ای غمگین سرودند
لاله های بی کفن،
بر خاستند
بر شانه خویش
فروغ خاوران را
تا سحر تشیع کردند
خاوران زنده ست
در یاد ما
و اندیشه ی تاریخمان